Articles

सुर्य ओ पृथ्वी सम्बन्धमे धर्मग्रन्थक मूढ़तापूर्ण मान्यता: राजनाथ मिश्र

रोममे एकटा चौबटिया पर एकटा मूर्ति स्थापित छैक। एहिमे एक व्यक्ति हूडी पहिरने ठाढ़ अछि। कलाक एहि उत्कृष्ट नमूना देखि ककरहु मोनमे एक सहज जिज्ञासा उठि जाएल करै छै, जे आखिर ई ककर मूर्ति बनाओल गेल छै। नाम पढ़ला पर जनतब भेटत जे ई जियोर्दानो ब्रूनोक प्रस्तर मूर्ति छनि। जियोर्दानो ब्रूनो सोलहम शताब्दक इटलीक दार्शनिक, गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता रहथि। ओ अपन पोथीमे लिखलनि जे ‘ब्रह्माण्डक केन्द्र पृथ्वी नइँ, सूर्य छथि।’ कैथोलिक चर्च अधार्मिक होयबाक आरोप लगा आदेश दऽ इटलीक राजा पर दाब बनौलक। जियोर्दानो ब्रूनो गिरफ्दार कऽ लेल गेलाह। पहिने हुनका सात वर्ष धरि बेड़ी-हथकड़ीमे जकड़ि कारागारमे धऽ देल गेल। मूदा ओ अपन सिद्धान्त पर अडिग रहलाह। आ तकरा बाद रोमक चौबटिया पर ठाढ़ कऽ हुडी पहिरा १७ फरवरी सन १६०० कऽ जिबतहि आगिमे जरा देलक।

Ad

जाहि पोजीशनमे ठाढ़ कऽ आ जाहि स्थान पर जियोर्दानो ब्रूनोकेँ जिबतहि जराओल गेल रहय, ओही पोजिशनमे आ ओही स्थान पर हुनक सम्मानमे मूर्ति बनाओल गेल अछि।
रोम यूनिवर्सिटीक एक विभाग हिनक नाम पर राखल गेल अछि। अफसोचक गप ई जे कैथोलिक चर्च कहियो अपन एहि कुकृत्यक लेल माफी नइँ मङलक।

गैलीलियो गैलिली (१५ फरवरी, १५६४ – ८ जनवरी, १६४२) इटलीक वैज्ञानिक रहथि। गैलीलियो पश्चिमी सभ्यतामे पूर्वमे व्याप्त मान्यताक विपरीत ब्रह्माण्डमे स्थित पृथ्वी समेत सभ ग्रह सूर्यकेँ परिक्रमा करैत छैक कहलनि। तत्कालीन यूरोपमे ई सर्वमान्य सिद्वान्त रहैक, जे ब्रह्माण्डक केन्द्रमे पृथ्वी स्थित छै तथा सूर्य आ चन्द्रमा सहित सभटा आकाशीय पिण्ड लगातार पृथ्वीक परिक्रमा करैत छै। तद्समयक धर्माचार्यलोकनिक एकरहि समर्थन करैत रहय। गैलीलियो एहि असत्य अवधारणाक विरूद्व अपन सिद्वान्त सार्वजनिक कएलनि, तँ चर्च एकरा अपन अवज्ञा मानलक आ अवज्ञाक अपराध्मे गैलीलियोकेँ मृत्युदण्डक निश्चय कएलक।

सामाजिक ओ धार्मिक प्रताड़नाक कारणेँ पूर्वसँ व्याप्त मान्यता ओ विश्वासक विपरीत प्रतिपादित नूतन सिद्धान्तकसङ्ग ओ अधिक दिन धरि ठाढ़ नइँ रहि सकलाह। वर्ष १६३३ मे ६९ वर्षीय वृद्ध गैलीलियोकेँ प्रति चर्च आदेश देलक जे ओ सार्वजनिक तौर पर माफी माङ्गथि। ओ एहिना कएलनि, तथापि हुनका करागारमे बन्न कऽ देल गेल। अपन जीवनक आखिरी श्वाँस धरि ओ कैदमे बितौलनि। यद्यपि गैलीलियो अपन कथन आपस लऽ लेलनि। किन्तु चर्चक दृष्टिमे ओ अपराधी रहथि, हुनकर नाम सजायाफ्ता अपराधीक सूचीमे काएम रहल। कहिया धरि ? सुनि आश्चर्य लागत। १९९२ ईस्वी धरि। १९९२ मे पोप जॉन पॉल द्वितीय हुनक नामकेँ अपराधीक सूचीसँ हटौलनि। बुझले अछि जे ता धरि यूरी गागरिन १२ अप्रिल, १९६१ केऽ अंतरीक्ष भ्रमण सम्पन कऽ लेने रहथि, २० जुलाई १९६९ केऽ निल आर्मस्ट्रोङ्ग चन्द्रमा पर भ्रमणसँ आपस घुरि आएल रहथि। सैटेलाइटक अन्तरीक्षमे आवागमन अनवरत भऽ रहल छल। किन्तु क्रिश्चियन धार्मिक ग्रन्थमे गैलेलियोक नाम अपराधीक सूचीमे काएम रहल।

धार्मिक पोथी कुरानमे आ एकर अनुयायीलोकनिमे तँ आइओ इएह धारणा छनि, जे पृथ्वीक आकार रोटी जकाँ छैक।
वास्तविक तथ्य ई छैक जे सनातनक अनुयायीलोकनि कहियो हुनकालोकनिक धर्मक आलोचना नहि कएलनि। किंतु, ईसाई मिशिनरी आ मुस्लिम मौलवीलोकनि आइयो अर्थ विपन्न आ सोझमतिआ हिन्दू समाजमे जाय अनेकानेक मिथ्या प्रलोभन दऽ धर्म परिवर्तनक काजमे निर्लज्जतापूर्वक सक्रीय अछि।

वैदिक साहित्यमे सूर्यकेँ ‘गोलाक केन्द्र’ कहल गेल छै, जे गुरुत्वाकर्षण बलक कारणेँ गतिशील छै। कहल गेल छै जे रातिक आकाशमे सूर्य सभ दिशामे रहल करैत अछि। जखन एक सूर्य पश्चिमी क्षितिजक नीचा डूबि जाइत छथि, तखन हजारो सूर्य हुनक स्थान लऽ लैत छथि। ऐतरेय ब्राह्मण (३.४४) मे कहल गेल छै, सूर्य कखनहुं उगैत वा अस्त नइँ होइत छथि। चन्द्रमा पृथ्वीक परिक्रमा ओहिना करै छथि जेना एकटा बच्चा अपन मायक परिक्रमा कएल करैत अछि; आ पुनः पिता सूर्यक परिक्रमा करैत छथि।

पृथ्वी अपन धुरी पर घूमैत अछि, तेँ दिन आ राति भेल करै छै। दुनिञा भरिमे पूर्वमे क्षितिजक ऊपर सूर्यक प्रकाशक उगबाकेँ सूर्योदय आ पश्चिममे क्षितिजक नीचा डूबबाकेँ सूर्यास्त कहबाक प्रथा छै। वराहमिहिर, आर्यभट्ट ओ भास्कराचार्य बादक साहित्यमे खगोल विज्ञान पर ग्रंथ रचलनि।
पाश्चात्य देशक अध्येतालोकनिमे प्रख्यात विद्वान ऐतरेय ब्राह्मणक रचनाकालक समीक्षा कएलनि अछि – ए. बी. कीथ(१९२०) एकरा ईसा पूर्व छठम शताब्दीक, जॉन जी. आर. फर्लॉंग (१९०६) ईसा पूर्व सातम शाब्दीक, एच. एच.विल्सन(१८६६) ईसा पूर्व छठम शताब्दीक, ई. जे. रैप्सन (१९१४) ईसापूर्व पाँचम शताब्दीक, फ्रैंकलिन साउथवर्थ(२००४) ईसापूर्व सातम शताब्दीक, जान एन, ब्रेमर(२००७) ईसापूर्व आठम शताब्दीक अँकलनि अछि। यद्यपि भारतीय प्रथा एकर रचनाकाल कम सँ कम ईसा सँ अढ़ाइहजार – पाँच हजार वर्ष पूर्वक मानैत अछि। अच्छा जँ पाश्चात्यहिक मनताकेँ मानि ली तइयो तँ ई कोपर्निकससँ पहिनेक अवधारणा ठहरैत छै।

#राजनाथमिश्र #जियोर्दानोब्रूनो #गैलीलियोगैलिली

कैलाश कुमार ठाकुर

कैलाश कुमार ठाकुर [Kailash Kumar Thakur] जी आइ लभ मिथिला डट कमके प्रधान सम्पादक छथि। म्यूजिक मैथिली एपके संस्थापक सदस्य सेहो छथि। Kailash Kumar Thakur is Chef Editor of ilovemithila.com email - [email protected], +9779827625706

Related Articles