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मैथिली कविता ‘बौवाक चिठी मायके नाम’

कविता : बौवाक चिठी माय के नाम

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माय, तू नै कहै रही
“बौवा नइँ जो विदेश
सबसे नीक अपने गाम, अपने देश”
से समझैत छी
आ उदास भऽ जाइ छी l

सम्झैत छी
आमक फूलवारि
महमह करैत मोजरिक गन्ध
टहटह इजोरिया रातिमे
सखी बहिनपा जट-जटिनक गान
महुवाक मादक गन्धसँ बताह भेल
कोइलीक अनवरत पन्चम् तान
इहे सब सम्झैत छी
आ उदास भऽ जाइत छी l

हमर समांगक चिन्ता तू नइँ करहिं
तोहर दूधसँ बनल ई शरीर
एतेक जल्दी खराब होमयवला नइँ
समझैत छी
बसिया भात आ माँगुर माछक झोर
भौजीक नैहरासँ आयल
ठकुवा, पिडुकिया आ दहीक खोर
बहिनक हाथक पकायल
मडुवाक रोटी और पियाजक चटनी
इहे सब ते हमरा अखन तक बचौने छल l

गे माय!
आब त चितकबरी गाय सेहो बिया गेल हेतौ
भौजी-भैयाकेँ कहिंह दूध बलु नइँ बेचतै
तू आ मुन्ना पिबहिं
पैसाक चिन्ता नइँ करिहं
मुन्ना सेहो आब नम्हर भऽ गेल हेतौ
‘कक्का-कक्का’ कहै हेतौ नै ?
जल्दीए हम आबै छी गाम
मोन नइँ लगै हइ अइ ठाम
खाली कामे काम, कामे काम
आ झरकावैबला घाम

मोन त हमर लसकल हइ
अपने गाममे
धानक खेतमे
फूलवारिक आममे
सँच्चे कहै छियौ माय
आब फेर घुरि कऽ नइँ आयब अइँ ठाम
सबसे नीक अपने देश, अपने गाम l

प्रस्तुत मैथिली कविता प्राध्यापक डा. विष्णु एस राई जी लिखने छथि। एहि कवितामे मातृभूमिसँ दूर कोनो देशमे कमाबैलेल जँ एगो बेटा जाइ छथि तँ हुनका अपन गाँम सहरी चकमकीमे कि यादो रहै छै ? तकर एकटा स्पष्ट अभिव्यक्ति अछि ई कविता। सहरके हरने हरनके बीचसँ रातिक हुनका अपन गामक जट जटिन, गायक दूध, इजोरिया रातिक कोइलीक गीत मन परैत अछि। प्रकृतिक सुरमे सुर मिलाबैत कवि अपन मातृभूमि प्रति अथाह स्नेह पत्रमे समेटक माएके नाम लिखि देने छथि। “बौवाक चिठी मायके नाम ” मैथिली भाषाक कवितामे अपन मातृत्वके ममत्व प्रखर स्वरमे बाजि रहल कविता अछि। – सम्पादक

 

■ कवि परिचय : विष्णु एस राई

नेपाली आ अंग्रेजी साहित्य क्षेत्रक स्थापित नाम ओ प्रख्यात विद्वान प्रा. डा. विष्णु एस राई त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमाडौं (नेपाल) क भाषा विभागके प्राध्यापक छथि। डा. राई पुमा, चाम्लिङ आ तिलुङ  लगायत नेपालक विभिन्न लोपोन्मुख भाषासभक क्षेत्रीय अनुसन्धान कएने छथि। हुनकर मैथिली भाषामे Maithilī kahabī = Maithili proverbs नामक किताब साझा प्रकाशनसँ सन् २०११ मे प्रकाशित भेल छल।

अइ कवितामे चिठी मार्फत एकटा सुच्चा मातृभूमि प्रेमी ओ संवेदनशिल-चिन्तनशिल युवा प्रदेश वा मरूभुमि देश पलायन भेलाक बाद ओइ ठामक जीवन-व्यथा सुना रहल छथि। गामक प्राकृतिक आ सांस्कृतिक सौन्दर्यकेँ मोन पारि सिसकि रहल छथि। साहूक कर्जा आ दूधक कर्जा दुनू चुकाइएक’ रहब से मगजुतत आत्मविश्वास देखबैत माएकेँ चिन्ताक पट्टी खोलि रहल छथि। पश्चिमी परिवेशसँ रूस्ट होइत आमसँ मरूवा रोटी, चटनीसँ खटनी, दहीक पोरसँ माछक झोर, जटजटीनक तानसँ कोयलीक गानधरि मोन दौड़ा रहल छथि। अपन गाम-ठाममे व्यापार क’ जीवनक जोगार करब आ आरामसँ गायसँ मायधरिक सेवामे जीवन-गुदड़ी सीयब से अन्तिम इच्छा प्रकट क’ रहल छथि।

● जन्म : १९५२, सुनसरी (प्रदेश १)
● शिक्षा : विद्यावारिधी बेर्न विश्वविद्यालय, स्वीट्जरल्याण्ड l

● पेशा: प्राध्यापक (त्रिभुवन विश्वविद्यालय, किर्तीपुर)

● संलग्न : भाषा-साहित्य अनुसन्धानमे त्रि.वि. सँ लक’ लाइपचिग विश्वविद्यालय, जर्मनी, तथा भिएना विश्वविद्यालय, अस्ट्रिया तक संलग्न l (३८ वर्ष अंग्रेजी प्रध्यापनके बाद सेवानिवृत l )

● प्रकाशन: ‘भाषा विज्ञान’ आ ‘अंग्रेजी शिक्षा’ विषयमे एक दर्जनसँ उपर पुस्तक प्रकाशित।

साहित्य सम्बन्धित प्रकाशन, अंग्रेजीमे : Realities (रेडियो ड्रामा), Martyrs & Other Stories (कहानी संग्रह), Vagabond Verses (कविता संग्रह) आ Distant voices (प्रकाशोन्मुख) l नेपालीमे : सुदामा (खण्डकाव्य), नौ डाँडापारि (यात्रा संग्रह), जीवन (कविता संग्रह), पहेली (उपन्यास), जिन्दगीका पानाहरू (संस्मरण)  l मैथिलीमे :  मैथिली कहवी (अंग्रेजी अनुवादक साथ), एकर अतिरिक्त मैथिली आओर हिन्दीमे फुटकर कविता-आख्यानसब पत्र-पत्रिकामे प्रकाशित l

विद्यानन्द बेदर्दी

Vidyanand Bedardi (Saptari, Rajbiraj) is Founder member of I Love Mithila Media & Music Maithili App, Secretary of MILAF Nepal. Beside it, He is Lyricist, Poet, Anchor & Cultural Activist & awarded by Bisitha Abhiyanta Samman 2017, Maithili Sewi Samman 2022 & National Inclusive Music Award 2023. Email : [email protected]

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One Comment

  1. बहुत निक कविता लागल । ई कविता मे बच्चाके माय प्रति के माया या यादके बडा सुझ्म विश्लेषण पाउल गेल। विगत काल अवस्थाके बडा सटीक चित्रण देखल गेल।
    अादमी जखन घर स दुर होइ छै त अपन माय बाप या गाव ठाव के बडा याद अवै छै। बच्पनमे केना समय वितल रहिहै सेहो बडा याद अावै है ।
    लेखक महोदय वहुत धन्यवाद तथा शुभकामना ।

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